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5 Mar 2020 · 1 min read

II टूटा सपना II

जब कोई सपना टूटा होगा l
कहीं किसी ने लूटा होगा ll

मुंह फेरे बैठा मेरे सामने l
अपना ही कोई रूठा होगा ll

सारे ही हम हुए गरीब l
कल से सबका कोटा होगा ll

दुख दर्द कौन अब बांटेगा l
संवेदना का भी टोटा होगा ll

सबको अपनी पड़ी हुई हैl
देश पड़ा कहीं रोता होगा ll

‘सलिल’ बगावत की ना आहट l
पर घूंट लहू का पीता होगा ll

संजय सिंह ‘सलिल’
प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश

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