Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Jan 2020 · 1 min read

बसंत पंचमी

1
खेतों में सरसों खिली, खुशबू भरी बयार
चारों ओर बसंत की,छाई हुई बहार

2
देना वर माँ शारदे, खुशियाँ मिलें अनन्त
जीवन में खिलता रहे, सबके सदा बसंत

3
पहन धरा ने भी लिये, बासन्ती परिधान
और पतंगों से बढ़ी, आसमान की शान

4
हुआ मात का अवतरण, बसंत पंचमी पर्व
अपनी संस्कृति पर हमें, सदा रहा है गर्व

5
पीले पीले हैं वसन, पीला भोग प्रसाद
करें मात की ‘अर्चना’, दिल अपना आह्लाद

6
लिया मात ने अवतरण, पावन ये त्योहार
बसंत पंचमी पर करे, धरा पीत शृंगार

30-01-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

Language: Hindi
2 Likes · 473 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr Archana Gupta
View all

You may also like these posts

इनका एहसास खूब होता है ,
इनका एहसास खूब होता है ,
Dr fauzia Naseem shad
ग़ज़ल
ग़ज़ल
प्रीतम श्रावस्तवी
युद्ध के मायने
युद्ध के मायने
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
पौधा
पौधा
कार्तिक नितिन शर्मा
मंद बुद्धि इंसान,हमेशा मद में रहते
मंद बुद्धि इंसान,हमेशा मद में रहते
RAMESH SHARMA
3065.*पूर्णिका*
3065.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
.
.
NiYa
शोर है दिल में कई
शोर है दिल में कई
Mamta Rani
थकावट दूर करने की सबसे बड़ी दवा चेहरे पर खिली मुस्कुराहट है।
थकावट दूर करने की सबसे बड़ी दवा चेहरे पर खिली मुस्कुराहट है।
Rj Anand Prajapati
वो दौड़ा आया है
वो दौड़ा आया है
Sonam Puneet Dubey
Whispers of Memories
Whispers of Memories
Shyam Sundar Subramanian
गीत
गीत
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
बीजारोपण
बीजारोपण
आर एस आघात
ପ୍ରାୟଶ୍ଚିତ
ପ୍ରାୟଶ୍ଚିତ
Bidyadhar Mantry
प्रदूषण
प्रदूषण
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
जनाब पद का नहीं किरदार का गुरुर कीजिए,
जनाब पद का नहीं किरदार का गुरुर कीजिए,
शेखर सिंह
पर्वत हैं तो धरती का श्रंगार है
पर्वत हैं तो धरती का श्रंगार है
श्रीकृष्ण शुक्ल
थ्हारै सिवा कुण हैं मां म्हारौ
थ्हारै सिवा कुण हैं मां म्हारौ
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
..
..
*प्रणय*
When you think it's worst
When you think it's worst
Ankita Patel
*शिशुपाल नहीं बच पाता है, मारा निश्चित रह जाता है (राधेश्याम
*शिशुपाल नहीं बच पाता है, मारा निश्चित रह जाता है (राधेश्याम
Ravi Prakash
"" *समय धारा* ""
सुनीलानंद महंत
कुंडलियां
कुंडलियां
seema sharma
रोज गमों के प्याले पिलाने लगी ये जिंदगी लगता है अब गहरी नींद
रोज गमों के प्याले पिलाने लगी ये जिंदगी लगता है अब गहरी नींद
कृष्णकांत गुर्जर
दोहे
दोहे
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
अब मेरे दिन के गुजारे भी नहीं होते हैं साकी,
अब मेरे दिन के गुजारे भी नहीं होते हैं साकी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"जिन्दगी"
Dr. Kishan tandon kranti
ग़ज़ल
ग़ज़ल
अनिल कुमार निश्छल
चाहता बहुत कुछ
चाहता बहुत कुछ
महेश चन्द्र त्रिपाठी
माटी की सोंधी महक (नील पदम् के दोहे)
माटी की सोंधी महक (नील पदम् के दोहे)
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
Loading...