Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Jan 2020 · 1 min read

कविता पर टैक्स (लघुकथा)

कविता पर टैक्स-
——————–
विद्रोही जी ने सरस जी को फोन किया और कहा-अरे सरस जी,ज़रा टी.वी.खोलो और समाचार चैनलों पर चल रही ज़ोरदार खबर को देखो।सरस जी बोले- आप ही बता दो, टेलीविजन क्या देखना।
विद्रोही जी- अब क्या बताऊँ, उत्तर प्रदेश की सरकार ने तो गज़ब ही कर दिया।समझ में नहीं आ रहा क्या चाहती है।
सरस जी- बात को गोल -गोल क्यों घुमा रहे हैं बंधु, क्या हो गया? खबर तो बताइए।
विद्रोही जी- उत्तर प्रदेश सरकार ने कविता सुनाने पर भी जी एस टी लगा दिया।हम लोग भी टैक्स के दायरे में आ गए।
सरस जी- पहली बात, हम नहीं; आप।दूसरी बात,मैं तो पहले से ही आप लोगों को समझाता आ रहा हूँ कि कवि सम्मेलनों में कविता सुनाया करिए, चुटकुले नहीं।आप लोग मान लेते तो मनोरंजन कर के दायरे में आते नहीं । भई, अपुन तो बहुत खुश हैं। अपने को तो कवि सम्मेलनों में जाना नहीं होता या ये समझ लीजिए कि कोई बुलाता नहीं।
डाॅ बिपिन पाण्डेय

Language: Hindi
1 Comment · 328 Views

You may also like these posts

24/250. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/250. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अगर चुनौतियों को  ललकारने और मात देने की क्षमता नहीं है, तो
अगर चुनौतियों को ललकारने और मात देने की क्षमता नहीं है, तो
Sanjay ' शून्य'
*संवेदना*
*संवेदना*
Dr .Shweta sood 'Madhu'
लोग समझते हैं
लोग समझते हैं
VINOD CHAUHAN
अर्थ काम के लिए
अर्थ काम के लिए
महेश चन्द्र त्रिपाठी
,, डॉ मनमोहन सिंह ,,
,, डॉ मनमोहन सिंह ,,
Anop Bhambu
कुंडलिया
कुंडलिया
गुमनाम 'बाबा'
दुनिया में लोग ज्यादा सम्पर्क (contact) बनाते हैं रिश्ते नही
दुनिया में लोग ज्यादा सम्पर्क (contact) बनाते हैं रिश्ते नही
Lokesh Sharma
अपवित्र मानसिकता से परे,
अपवित्र मानसिकता से परे,
शेखर सिंह
मुक्तक
मुक्तक
Neelofar Khan
सुहागन का शव
सुहागन का शव
अनिल "आदर्श"
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कसूरवान
कसूरवान
Sakhi
*मोती (बाल कविता)*
*मोती (बाल कविता)*
Ravi Prakash
उसे भूला देना इतना आसान नहीं है
उसे भूला देना इतना आसान नहीं है
Keshav kishor Kumar
17) ऐ मेरी ज़िंदगी...
17) ऐ मेरी ज़िंदगी...
नेहा शर्मा 'नेह'
जय जय दुर्गा माता
जय जय दुर्गा माता
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
विरोध-रस की काव्य-कृति ‘वक्त के तेवर’ +रमेशराज
विरोध-रस की काव्य-कृति ‘वक्त के तेवर’ +रमेशराज
कवि रमेशराज
अपने मोहब्बत के शरबत में उसने पिलाया मिलाकर जहर।
अपने मोहब्बत के शरबत में उसने पिलाया मिलाकर जहर।
Rj Anand Prajapati
कहाँ चल दिये तुम, अकेला छोड़कर
कहाँ चल दिये तुम, अकेला छोड़कर
gurudeenverma198
जीवन का एक ही संपूर्ण सत्य है,
जीवन का एक ही संपूर्ण सत्य है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मेघ, वर्षा और हरियाली
मेघ, वर्षा और हरियाली
Ritu Asooja
पुरइन के पतई
पुरइन के पतई
आकाश महेशपुरी
लौट कर फिर से
लौट कर फिर से
Dr fauzia Naseem shad
न जाने शोख हवाओं ने कैसी
न जाने शोख हवाओं ने कैसी
Anil Mishra Prahari
तलाश
तलाश
Shyam Sundar Subramanian
वक्त ए रूखसती पर उसने पीछे मुड़ के देखा था
वक्त ए रूखसती पर उसने पीछे मुड़ के देखा था
Shweta Soni
"इच्छाशक्ति"
Dr. Kishan tandon kranti
दोहा त्रयी. . . .
दोहा त्रयी. . . .
sushil sarna
शु
शु
*प्रणय*
Loading...