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30 Dec 2019 · 1 min read

दोहा मुक्तक

सैनिक सीमा पर डटे ,करें देश से प्यार ।
आल्हा गाते जोश से सारे संकट पार।
छिड़ी जंग जब बर्फ से ,सांसें अपनी थाम ,
हिम दानव के दाँँव का,जमकर हो प्रतिकार ।

गायें महिमा गीत की ,अंबर स्वर लय के साथ।
रचना रचते छंद की ,निज जीवन के नाथ ।
कहते सब कविराय हैं ,धर्म मर्म का सार ,
गीत गजल मन भा रहे, लेखन अंबर हाथ ।

डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, सीतापुर ।
स्वरचित मौलिक रचना।

Language: Hindi
326 Views
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Books from डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
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