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24 Dec 2019 · 1 min read

जल की वेदना...

सोच मेरे मारे में, तू क्यों है परेशां,
बचा ले तू मुझे, मुझपे टिका है सारा जहाँ ।

न रहूँगा मैं, तो तेरा क्या अस्तित्व रहेगा,
गर न बचा मैं, तो तू कैसे बचेगा ।

अहमियत मेरे नाम की, तू जल्द समझ ले,
हुई चूक गर यहाँ, न कोई जीव बचेगा ।

है दुनिया मुझसे, मेरा नाम है जल,
“आघात” बचा ले तू इसे, वरना पछतायेगा कल ।

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