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22 Oct 2019 · 1 min read

वही मित्र हो,

केवल तन ही नहीं आपका मन पवित्र हो,
आत्म नियंत्रण, परोपकार उत्तम चरित्र हो,
सुख के साथी नहीं दुःख में साथ निभायें
बस जिनके आचरण श्रेष्ठ हों वही मित्र हो

जग प्रकाशित है सदा आदित्य से,
हम प्रगति करते सदा सानिध्य से,
कोई माने, या न माने सत्य है,
देश जाग्रत है सदा साहित्य से l

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