कविता –”जय जवान-जय किसान”
आज़ जन्मदिवस दो महानुभावो का करते नमन
देश को प्रगति ओर बढ़ाया खिला सुंदर चमन.
शास्त्री जी ने नारा जय जवान-जय किसान दिया
कृषकों और जवानों का, मनोबल उच्चा हुआ भ्रमण.
एक सीमा खड़ा करें सुरक्षा दूसरा हल चला पेट भरे
भारत के बीरो की सन्तान हैं,इनपे हर जन ही कुर्वान.
शहीदों सी राजगुरु सुखदेव भगतसिंह, सी पाई शान
साहसी ख़तरों से ना डरे कभी ये निडरता हैं पहचान.
बैरी उनके आगें खौफ में आतें,पर मुल्क में भूल जातें
मिलें खोया सा आत्मसम्मान हो यहीं मन में अरमान.
किसान अन्न उपजाएँ खुशियाँ लाएँ,यही उर्बरा की शान
सीमा मेहनत से न डरने वाले,हर ही मज़दूर ही निर्माण .
स्वरचित –रेखा मोहन २/१०/१९