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29 Sep 2019 · 1 min read

अंधभक्ति और सुकून

जी हाँ
आज फिर वो पश्चाताप के नो
मुकर्रर दिन आ पहुंचे है.
जिसमें सब पश्चाताप करेंगे ?
संकल्प तो बिलकुल नहीं होंगे.
हमने जो अतित में सहन किया.

प्रकृति की फितरत को न समझना.
उसका तिरस्कार चलता रहेगा.
कन्या, युवती, स्त्री, महिला, जितने भी रिश्ते
वो समायोजन है व्यवहार भर है.

सच का आयोजन नहीं हो सकता.
हाँ…अवलोकन एकमात्र मार्ग है.

साहित्य और शास्त्र नीरस सिद्ध हुये है.
धरातल पर बढ़ते व्याभिचार, कन्या-भ्रूण हत्याएं, चिरहरण,गिरती भाषा, सात कन्याओं की हत्या के बाद किसी कन्हैया विशिष्ट पुत्र पर खुशियाँ. दुराचार के समय ईश्वर द्वारा रक्षा .। जनता को किंकर्तव्यविमूढ़ स्थिति में से एक.

ज्ञान पर पर्दा डालने जैसा.
किसी विशेष अवस्था का पूजन.
मतलब अवहेलना कारण रहा होगा.
कारण को समझो
तभी उपाय संभव है.
अन्यथा साल में कई बार मनाने पड़ेंगे.

डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस

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