शिक्षक और शिक्षार्थी
शिक्षक और शिक्षार्थी
दीपक की तरह जलना होता
गुरु ज्ञान की लों फैलाने को
न स्वार्थ न द्बेष न भय
बस ले परवाह चलना होता.
उसे चाहिए, शिक्षार्थी उपलब्धि यां
उंचाईयां, जब कभी वो जीवन में देखे
गौरव से उठ जाए सर खुश मन होता.
हर वक्त साथ चलता है गुरु
करता हममें गुणों की तलाश
फिर तराशता है शिद्दत से
और बना देता है सबसे खास
उसे नहीं चाहिए कोई वाहवाही
बस रोकता है चलना राह बुराई
और सहेजता है उसमे अंतर्ज्ञान
एक नेक और काबिल इंसानजो होता .
अध्यापक दिवस की बधाई.
रेखा मोहन ९/५/१९