तू बता
मै तो गया गुजरा ठहरा ,तू बता
हाशिये पे हरदम ही रहा,तू बता ।
थी हैसीयत नही की बात रखता
उपर से हुजूर भी खफा, तू बता ।
न दवा,न दुआ,न कोई उम्मीद की
हस्र मुझे था पहले पता, तू बता ।
अपने लिए तो मय्य्सर ही न हूई
चाहत दोस्ती और वफा, तू बता ।
तारीफ़ न सही तनक़ीद तो कर
आखिर हूँ मैं सबसे जुदा, तू बता
मौत मुस्कुराती है हालात पे मेरी
ज़िन्दगी बन गई है सज़ा, तू बता ।
न रहम, न करम वक्त भी बेरहम
फेर लिया है मुहँ भी खुदा,तू बता ।
-अजय प्रसाद