आज़ाद गज़ल
आईये फहराएं तिरंगा जश्न-ए-आजादी है
हालात से मत हो अचंभा जश्न-ए-आजादी है
बेरोजगारी,भ्रष्टाचारी,बलात्कारी के साथ साथ
रहे कौम में भूखा नंगा जश्न-ए-आजादी है।
हिंसक भीड़ के हाथों होते हैं संहार इंसानों का
मज़हब के नाम रहे दंगा जश्न-ए-आजादी है ।
तकनिकी दौर में तरक्की करती नई पीढियाँ
खुदगर्ज़ सोंच,बाल बेढंगा जश्न-ए-आजादी है ।
जाने भी दे अब इतनी बेरुखी भी अच्छी नहीं
मत ले अजय आज पंगा जश्न-ए-आजादी है ।
-अजय प्रसाद