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26 Jun 2019 · 1 min read

सच को छिपा के झूठ का परदा बना दिया

सच को छिपा के झूठ का परदा बना दिया
दो ही पलों में हमको पराया बना दिया

प्यासे रहे हमेशा समन्दर की ही तरह
इन आंसुओं ने और भी खारा बना दिया

अब रात है या दिन हमें कुछ भी पता नहीं
बस प्यार ने हमें तो दिवाना बना दिया

आँगन महक उठा खिले दो फूल प्यार में
किलकारियों ने फिर हमें बच्चा बना दिया

जैसे बना हो रेत का ऐसे मिटा गए
तुमने हमारे दिल को खिलौना बना दिया

यूँ हर क़दम पे मेरे लिए ग़म खड़े मिले
बेवक़्त मुफलिसी ने ही बूढ़ा बना दिया

तुम माँगते तो जान भी दे जाते हम तुम्हें
तुमने खुदाई माँग तमाशा बना दिया

अब और चाहिये नहीं कुछ आपके सिवा
इस ‘अर्चना’ को आपने गहना बना दिया

2015
डॉ अर्चना गुप्ता

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