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22 Jun 2019 · 1 min read

श्रीभगवान बव्वा के दोहे

“श्रीभगवान बव्वा के दोहे”

गांठ मनों में बांधते, रखते बुरे विचार ।
जीवन में मिलता नहीं, उन लोगों को प्यार ।1।

मन में जो भी पालता, नफ़रत और द्वेष ।
जल कर मिलता खाक में, नहीं रहें कुछ शेष ।2।

सदा प्यार की राह पर, चलिए सीना तान ।
जो फैलाते इर्ष्या, मरा हुआ ही जान ।3।

टूटे रिश्ते जोड़िए, कर जीवन आसान ।
बिन अपनों के बाग भी, दिखता है वीरान ।4।

हवा सुहानी जब चले, जगती सारी पीर ।
दिल यादों में डूबता, आंख बहाएं नीर ।5।

उत्तम खुद को मानते, बाकी को बेकार ।
गौर कभी करता नहीं, उन जन पर संसार ।6।

पेड़ से डाली फूटती, जड़ देती आधार ।
माली जब हैं सींचता, बेड़ा लगता पार ।7।

चलती सांसें बोलती, रुकी हुई लाचार ।
जीवन गति का नाम है, जो ठहरा बेकार ।8।

सदा करें आलोचना, ऐसे मिलें जो यार ।
बाधाएं सब दूर हो, लगती नैया पार ।9।

भाव कभी आएं नहीं, कुत्सित और खराब ।
सद्भाव की सदा रहे, हर चेहरे पर आब ।10।

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