Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
10 May 2019 · 1 min read

आओ प्रिये कुछ प्रीत की बातें हो जाए!

आओ प्रिये कुछ प्रीत की बातें हो जाये ,
चलो एक बार लैला-मजनू बन जाये |

सुनो, कैसे प्रीत जताओगे कुछ करार हो जाये ,
चलो मेरे मन के सावन का मल्हार हो जाये |
आओ कुछ प्रीत …

मैं जिद कर लूं क्या कुछ तोहफ़ा हो जाये ,
तुम्हारी सारी सांन्सो में, मेरा नाम बस जाये |
आओ कुछ प्रीत …

आओ चलो एक बार आंख मिचोली हो जाये ,
मैं छुप जाऊ तुम्हारे ह्रदय में तुम्हारी हार हो जाये |
आओ कुछ प्रीत …

एक बार ठंडी पवन के झोंके की लहर आ जाये,
लिपट जाऊ तुमसे, मेरे दिल को करार आ जाये |
आओ कुछ प्रीत …

तुम्हारे दिल के गलियारे मे चहलकदमी हो जाये,
तितली सी फ़िरु मैं, मन का श्रृंगार हो जाये |
आओ कुछ प्रीत ….

युक्ति वार्ष्णेय “सरला”
मुरादाबाद |

Loading...