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11 Feb 2019 · 1 min read

दोस्ती

आइने से कहा, हमसे दोस्ती करलो,
अकस हमारा देख लेकिन वो धुंधला गया।
पहचाना हुआ सा चेहरा लगता है कहा उसने,
मगर दोस्ती करने से हिचकिचा सा गया।
कहा वह रंग, वह नूर वह जज्बा नहीं है तुझमें,
कि सूखे फूल की तरह मुरझाए से लगते हो तुम,
जरा जोर से चिलाकर दिखाना,
अपनी आवाज की गूंज से,
मुझे हिलाकर दिखाना,की कोशिश बहुत मैंने।
पर वो आवाज़ न ला पायी,
आइने को वह पुराना अक्स दिखा न पाई,
उसे अपना दोस्त बना ना पाई।
अरुणा डोगरा शर्मा
मोहाली।

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