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7 Feb 2019 · 1 min read

चाहत जिनकी

चाहत जिनकी है रही , लेना मेरी जान ।
उनकी बस्ती में लिया , हमने आज मकान ।।
हमने आज मकान, नाम बस कर ही डाला ।
और रहे चुपचाप , बात सच बोली हाला ।।
कहते श्री कविराय, हुये हैं हम तो आहत ।
बन गई मेरी अजीज,मौत ही अब है चाहत ।।

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