मुक्तक
” हर ठोकर ने हमको सोचकर बढ़ना सिखाया है,
चिराग़ों ने हवाओं से हमें लड़ना सिखाया है,
हमें कमज़ोर मत समझो, बहुत-कुछ झेल सकते हैं,
हमें हालात ने हर ज़ख़्म को सहना सिखाया है “
” हर ठोकर ने हमको सोचकर बढ़ना सिखाया है,
चिराग़ों ने हवाओं से हमें लड़ना सिखाया है,
हमें कमज़ोर मत समझो, बहुत-कुछ झेल सकते हैं,
हमें हालात ने हर ज़ख़्म को सहना सिखाया है “