मुक्तक
” मल्लाह बन के बैठे थे कल तक जो नाव में
लो आज वो भी व्यस्त हैं अपने बचाव में,
इन्हें मंदिर से कुछ लगाव न मस्जिद से कोई काम
ईश्वर को भी उलझा दिए सियासत के दाव में “
” मल्लाह बन के बैठे थे कल तक जो नाव में
लो आज वो भी व्यस्त हैं अपने बचाव में,
इन्हें मंदिर से कुछ लगाव न मस्जिद से कोई काम
ईश्वर को भी उलझा दिए सियासत के दाव में “