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26 Dec 2018 · 1 min read

जुदाई न दे

खुदा जिदंगी मे जुदाई न दे
मुहोबत से हमे रिहाई न दे

मुहोबत है उनसे बहुत हमे पर
क्यू उनको मुहोबत दिखाई न दे

वो समझते नही है बाते हमारी
कहे क्या उन्हे तो सुनाई न दे

खबर तक हमारी नही लेता वो
कैसे उन्हे प्यार की दुहाई न दे

शरीर को त्यागे आत्मा जब मेरे
कोई भी रो कर हमे विदाई न दे
मोहन बाम्णिया पानीपत

2 Likes · 3 Comments · 288 Views

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