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5 Dec 2018 · 1 min read

ये है नामुमकिन हम बिखर जाएगे |

कौन कहता है लौट के घर जाएगे
ये है नामुमकिन हम बिखर जाएगे
जिसको जो बोलना है बोलो मगर
मुझे खुद पे यकीं है सबर जाएगे |

दिल कहता है अपने जिद पे रहो
तुम सफल हो गए घर बर जाएगे
कौन कहता है लौट के घर जाएगे |

दिल में है तमन्ना कुछ कर जाएगे
ये कभी ना समझना ठहर जाएगे
हमसे है उम्मीद किसान चाचू का
कुछ ना हम किए तो वो मर जाएगे |

मुझको यूँ ना साहब सताया करो
हो सके तो हौसला, बढ़ाया करो
एक छोटा सा बस्ती से आया हूँ मैं
कुछ उम्मीदे जगा दो हँसाया करो |

दिल कहता है अपने जिद पे रहो
तुम सफल हो गए ये खबर जाएगे
कौन कहता है लौट के घर जाएगे |

– मनीष रायटर
बेगूसराय(बिहार)

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