( इक दीप तुम जलाओ- एक दीप हम जलायें
( इक दीप तुम जलाओ- एक दीप हम जलायें
हर्ष,उत्साह के संग सादगी से दीपावली मनायें)
रंग बिरंगे सपने लेकर ,आई इक दिलवाली
सखियों दिल से स्वागत करियो घर आई दीवाली
कहीं हरा है कहीं गुलाबी कहीं पे छाई लाली,
कार्तिक के आमद से सारी फ़िज़ा हुई मतवाली
मौसम से बौराई कोयल हो गई है मवाली,
सखियों दिल से स्वागत——
हर गांव शहर मुहल्ला डूबा दीवाली ही की झप्पी में,
निस्बत का आकाश धरे ,त्योहारों की धरती में,
राग द्वेश के अवगुण से , हर दिल अभी है खाली।,
सखियों दिल से स्वागत—
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कहीं होवे न दहशतगर्दी कहीं चले न गोली,
भर दे प्रेम मुहब्बत से मौला तू हर दामन और झोली,
इन्सानियत की छाती इस देश की हर देश से हो आली।
सखियों दिल से – –
( डॉ : संजय दानी दुर्ग )