मेरी क़लम से …
रहने दे …
मेरी आँखों तेरे ख्वाब रहने दे
उम्र भर को दिले बेताब रहने दे ।
कुछ पल को सही मान मेरी
मुझे अपना इन्ताखाब रहने दे ।
सारे नजराने ठुकरा दे गम नहीं
अपने हाथों में मेरा गुलाब रहने दे ।
जानता हूँ राज़ तेरी खामोशी का
सवाल तो सुनले जवाब रहने दे ।
अब तो हक़ीक़त का कर सामना
सपनों से निकल ,किताब रहने दे
-अजय प्रसाद
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