Pita
दोनो समय का भोजन माँ बनाती है
तो जीवन भर भोजन की व्यवस्था करने वाले पिता होते हैं।
कभी चोट लगे तो मुंह से ‘ओह माँ’ निकलता है
रास्ता पार करते वक़्त कोई ट्रक पास आकर ब्रेक लगाये तो ‘बाप रे’ ही निकलता है।
क्यूं कि छोटे छोटे संकट के लिये माँ याद आती है
मगर बड़े संकट के वक़्त पिता याद आते हैं।
पिता एक वट वृक्ष है जिसकी शीतल च्हाव मे,
सम्पूर्ण परिवार सुख से रहता है…!