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13 Apr 2023 · 1 min read

Mere shaksiyat ki kitab se ab ,

Mere shaksiyat ki kitab se ab ,
Mai tumhari shaksiyat padh liya karti hu.
Jab kbhi tumhe khone se dar lagta hai
To khud ko aayne me dekh liya karti hu .
Khud se agar khafa bhi ho tum to kya ,
Mai khud ko khud se, mana liya karti hu .
Tumhari sajisho ko samjh nahi payi to kya,
Tumhari ruh se wafadari aada karti hu.
Tum mere na ho sake ho kya hua,
Mai khud ko tumhare hawale karti hu .
Ek tumhara sath hi to nahi mila na mujhe,
Baki sab tumhara , mai tumse jayda rakhti hu.

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