मेरे सपनो के हर एक दाव हैं पापा
खुली छत हो तो सिर पर छाव हैं पापा,
मेरे पथ में कदमों के कदमताल हैं पापा।
जिसने खुद के सपनों को है तोड़कर जिया,
मेरे सपनों के हर एक दाव हैं पापा ।।
मेरे दुखों से सुख के अंतराल है पापा,
कहीं भव्य तो कहीं कराल हैं पापा।
जिसने खुद के जुबां को है थामकर जिया,
अब मेरी जुबां के मीठे स्वाद है पापा।।