आज की बात
पैसों की भूखी दुनिया पर
ताम -झाम का चढ़ा है रंग,
पनप रही आलीशान बस्तियाँ
दिल की गलियां हो रही तंग।
आँखों पर लालच का चश्मा है
मन में लालसा की तरल तरंग,
ईर्ष्या की अग्नि में जलकर
राख हो रही जीवन -तरंग।
चकाचौंध की होड़ में
अंतर्मन में छिड़े हैं जंग
रिश्ते फीके पड़ गए हैं
गहराया बस दौलत का रंग ।
बदल गया है अब दुनिया में
लोगों के रहने का ढंग,
चमक दमक की दौड़ में
दौड़ रहा नर नंग धडंग।
सिमट गया बस अपने तक ही
चाहता नहीं किसी का संग,
पलभर के फायदे की खातिर
बरसों के संबंध भी कर दे भंग।
खेमकिरण सैनी
16.3.2020