श्री कृष्ण ने साफ कहा है कि
क़िस्मत से जो मिले, वो नियामत है दोस्ती,
आंसूओ को इस तरह से पी गए हम
अधूरी बात है मगर कहना जरूरी है
आ अब जेहन में बसी याद का हिस्सा मुक़र्रर कर लेते हैं
कुंडलिया
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
मैं हिंदी में इस लिए बात करता हूं क्योंकि मेरी भाषा ही मेरे
भरा कहां कब ओस से किसका कभी गिलास
నమో నమో నారసింహ
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
*मृत्युलोक में देह काल ने, कुतर-कुतर कर खाई (गीत)*
घनाक्षरी
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
नजरें खुद की, जो अक्स से अपने टकराती हैं।
गुरु तेगबहादुर की शहादत का साक्षी है शीशगंज गुरुद्वारा