II साथ तेरा ( कुछ शेर ) II
साथ तेरा मुझे निभाना है l
प्यार में डूबना डुबाना है ll
पल में हो जाए बात सब अपनी l
पीछे सारा हि अब जमाना है ll
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रोग है पुराना धीरे होता असर है l
धीर तो बनो होने को ही सहर है ll
आफताब लाएगा कुछ नई उमंगे l
मंजिल नजर में है पूरा अब सफर है ll
संजय सिंह “सलिल”
प्रतापगढ़ ,उत्तर प्रदेश l