II शायरी II
भेद दिल के सब बताती शायरी l
दो दिलों को पास लाती शायरी ll
बात जो बनती नहीं तकरीर से l
चंद लफ़्ज़ों में सुनाती शायरी ll
आदमी जब जिंदगी से हारता l
खुद खुशी से फिर बचाती शायरी ll
हम सफर यह है अधूरा प्यार भी l
गिर के उठना भी सिखाती शायरी ll
कल मेरी तकदीर थी अब बेवफा l
साथ अब तक है निभाती शायरी ll
हैं बड़े टेढ़े से रास्ते इस गली l
राहत सीधी ही दिखाती शायरी ll
लोग भूले मैं ना भूला आज भी l
अक्श तेरा ही दिखाती शायरी ll
है “सलिल” मुश्किल बड़ा ही भूलना l
रात को भी दिन कराती शायरी ll
संजय सिंह “सलिल”
प्रतापगढ़ ,उत्तर प्रदेश ll