II रहो मौन चुप साधि अब II(कुण्डलिया)
रहो मौन चुप साधि अब ,समय बड़ा बलवान l
बोले बात खराब हो, छोड़ो तीर कमान ll
छोड़ो तीर कमान, धीर भी बनकर देखो l
झुकने में भी शान ,बचे पेड़ों से सीखो ll
पानी बहता ढाल, नदी से भी कुछ सीखो l
ढलता सूरज शाम, रहा चुप साधे देखो ll
संजय सिंह ‘सलिल’
प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश l