II..पाठ पढ़ ले प्रेम का…II
बात चलती जब कभी भी बंदगी की l
घेरने लगती है यादें फिर किसी की ll
मेरा रब वो मेरा ईश्वर है वही सब l
क्या है मंदिर और मस्जिद सब उसी की ll
पाठ पढ़ ले प्रेम का तो आदमी हम l
काम आए जिंदगी भी ए किसी की ll
शान से जीना यहां पर और जाना l
है करम जिसका इबादत भी उसी की ll
संजय सिंह “सलिल”
प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश l