II दिमागों में गुरूर देखा है….. II
दिमागों में गुरूर देखा है l
सलीके में शुरूर देखा है ll
भरी दौलत से जेबे हैं जिनकी l
उधारी में हुजूर देखा है ll
देखी कारों में भी बुझी शक्ले l
फकीरों में भी नूर देखा है ll
मिले हर दम बनावटी चीजें l
बाजारू ये फितूर देखा है ll
न रखना हसरते ‘सलिल’ उनसे l
तेरा सारा कुसूर देखा है ll
संजय सिंह ‘सलिल’
प्रतापगढ़ ,उत्तर प्रदेश l