II असली चेहरा II
राष्ट्रवाद का आया जमाना,भूख तुम्हारी कौन सुने l
हर चौराहे पर खड़ा मदारी,बात हमारी कौन सुने ll
सरहद पर मरने वालों को,परमवीर मिल जाता है l
रोज ही मरते जीते हैं जो,उनकी लाचारी कौन सुने ll
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कौन यहां साथ किसी के कौन किसी का मित्र l
सबकी अपनी-अपनी खुशबू अपने-अपने इत्र ll
पड़े जरूरत आजमाइये खुल जाएगी पोल l
दिख जाएगा असली चेहरा ढका हुआ चरित्र ll
संजय सिंह ‘सलिल’
प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश l