होली
होली
मनुभावन बसंत की फुहार झूमकर आई है..
मिलन प्रीत के हर दिल में संजोकर लाई है..
जन-जन ह्रदयात् पुलकित पवन पुरवाई है..
फूले कदम्ब अब जिक्र-ए द्वेस मिटाने आई है..
छन-छन करती मधुर ध्वनि जो उर में समाई है..
लगता मेरी प्रियतमा ने पायल फिर छनकाई है..
हर शक्स खुशनुमा है अब कहाँ जुदाई है..
हाँ बेशक इठलाती बलखाती होली आई है..
मनुभावन बसंत की फुहार आई है..
मिलन प्रीत के उर में संजोकर लाई है..!!
पवन कुमार