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3 Dec 2021 · 1 min read

साज रिश्तों की खनक का

दो दिल हैं
उनको बांधती दो तारें
एक मोहब्बत की
दूसरी नफरत की
एक जुड़ी हुई
दूसरी टूटी हुई
एक धातु की, कम्पन करती
दूसरी कांच की, अंगुली काटती
एक बनना चाहे सोने का आभूषण
दूसरी मिट्टी का खिलौना
एक सहेजना चाहे तिनकों को
दूसरी बिखेरना चाहे गुलशन को
एक बसाना चाहे घरौंदा
दूसरी उजाड़ना चाहे आशियाना
एक संजीदा, फिक्रमंद, शाइस्ता
दूसरी बिगड़ैल, बेकाबू और सबसे
जुदा जुदा
एक चाहे राग अलापना
दूसरी सुर बिगाड़ना चाहे
यह हो गर आलम
ऐसे हों मिजाज अलग
अलग तो
साज रिश्तों की खनक का
कैसे बजे।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
367 Views
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