Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Jun 2019 · 1 min read

राख़

जाके कोई क्या पुछे भी,
आदमियत के रास्ते।
क्या पता किन किन हालातों,
से गुजरता आदमी।

चुने किसको हसरतों ,
जरूरतों के दरमियाँ।
एक को कसता है तो,
दुजे से पिसता आदमी।

जोर नहीं चल रहा है,
आदतों पे आदमी का।
बाँधने की घोर कोशिश
और उलझता आदमी।

गलतियाँ करना है फितरत,
कर रहा है आदतन ।
और सबक ये सीखना कि,
दुहराता है आदमी।

वक्त को मुठ्ठी में कसकर,
चल रहा था वो यकीनन,
पर न जाने रेत थी वो,
और फिसलता आदमी।

मानता है ख्वाब दुनिया,
जानता है ख्वाब दुनिया।
और अधूरी ख्वाहिशों का,
ख्वाब रखता आदमी।

आया हीं क्यों जहान में,
इस बात की खबर नहीं,
इल्ज़ाम तो संगीन है,
और बिखरता आदमी।

“अमिताभ”इसकी हसरतों का,
क्या बताऊं दास्ताँ।
आग में जल खाक बनकर,
राख रखता आदमी।

अजय अमिताभ सुमन
सर्वाधिकार सुरक्षित

Language: Hindi
398 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
घाघरा खतरे के निशान से ऊपर
घाघरा खतरे के निशान से ऊपर
Ram Krishan Rastogi
कुछ भी रहता नहीं है
कुछ भी रहता नहीं है
Dr fauzia Naseem shad
"बचपने में जानता था
*Author प्रणय प्रभात*
कुछ तो गम-ए-हिज्र था,कुछ तेरी बेवफाई भी।
कुछ तो गम-ए-हिज्र था,कुछ तेरी बेवफाई भी।
पूर्वार्थ
यक्ष प्रश्न
यक्ष प्रश्न
Shyam Sundar Subramanian
मेरी  हर इक शाम उम्मीदों में गुजर जाती है।। की आएंगे किस रोज
मेरी हर इक शाम उम्मीदों में गुजर जाती है।। की आएंगे किस रोज
★ IPS KAMAL THAKUR ★
तीजनबाई
तीजनबाई
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"वक्त के गर्त से"
Dr. Kishan tandon kranti
उलझनें तेरे मैरे रिस्ते की हैं,
उलझनें तेरे मैरे रिस्ते की हैं,
Jayvind Singh Ngariya Ji Datia MP 475661
दया समता समर्पण त्याग के आदर्श रघुनंदन।
दया समता समर्पण त्याग के आदर्श रघुनंदन।
जगदीश शर्मा सहज
सत्य की खोज
सत्य की खोज
dks.lhp
वाह टमाटर !!
वाह टमाटर !!
Ahtesham Ahmad
" सत कर्म"
Yogendra Chaturwedi
मेरे सिवा कौन इतना, चाहेगा तुमको
मेरे सिवा कौन इतना, चाहेगा तुमको
gurudeenverma198
एक तो गोरे-गोरे हाथ,
एक तो गोरे-गोरे हाथ,
SURYA PRAKASH SHARMA
विषय -परिवार
विषय -परिवार
Nanki Patre
चातक तो कहता रहा, बस अम्बर से आस।
चातक तो कहता रहा, बस अम्बर से आस।
Suryakant Dwivedi
किस्मत की लकीरें
किस्मत की लकीरें
Dr Parveen Thakur
*किसी की भी हों सरकारें,मगर अफसर चलाते हैं 【मुक्तक】*
*किसी की भी हों सरकारें,मगर अफसर चलाते हैं 【मुक्तक】*
Ravi Prakash
3035.*पूर्णिका*
3035.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
परिश्रम
परिश्रम
ओंकार मिश्र
--शेखर सिंह
--शेखर सिंह
शेखर सिंह
मन पतंगा उड़ता रहे, पैच कही लड़जाय।
मन पतंगा उड़ता रहे, पैच कही लड़जाय।
Anil chobisa
धर्म-कर्म (भजन)
धर्म-कर्म (भजन)
Sandeep Pande
सर्वे भवन्तु सुखिन:
सर्वे भवन्तु सुखिन:
Shekhar Chandra Mitra
नारी का बदला स्वरूप
नारी का बदला स्वरूप
विजय कुमार अग्रवाल
वक्त और हालात जब साथ नहीं देते हैं।
वक्त और हालात जब साथ नहीं देते हैं।
Manoj Mahato
साँसों के संघर्ष से, देह गई जब हार ।
साँसों के संघर्ष से, देह गई जब हार ।
sushil sarna
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Loading...