Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Mar 2017 · 1 min read

भारत भू को बाँट रहे

कर गुणगान इतिहास का ये जो भारत भू को बाँट रहे
निवाला एक देकर हमे ये जो रस मलाई को चाट रहे

पथ भटके हो करतब उनके तुम नहीं समझ पाओगे
खो चुके आपस का भाई चारा कैसे संभल पाओगे
लड़ाकर तुम्हे एक दूसरे से देखो ले अब वो ठाठ रहे

तू मुसलमान मैं हिन्दू तू जाट मैं चमार बता फर्क क्या है
तू पढता नमाज मैं करता आरती जरा बता हर्ज क्या है
लाल करवाकर आँख हमारी दुश्मन नंगे वो नाच रहे

हम सबका है ये देश बीज प्यार के पुरखों ने बोए है
आज नहीं तो कल हम सबने पिता और बेटे खोए है
फिर होते कौन हैं प्रमाणपत्र देशभक्ति के जो बाँट रहे

कर गुणगान इतिहास का ये जो भारत भू को बाँट रहे
निवाला एक देकर हमे ये जो रस मलाई को चाट रहे

Language: Hindi
630 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जन्मदिन विशेष : अशोक जयंती
जन्मदिन विशेष : अशोक जयंती
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
" ब्रह्माण्ड की चेतना "
Dr Meenu Poonia
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
💐अज्ञात के प्रति-148💐
💐अज्ञात के प्रति-148💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
इंसान जिन्हें
इंसान जिन्हें
Dr fauzia Naseem shad
आशीर्वाद
आशीर्वाद
Dr Parveen Thakur
पहला खत
पहला खत
Mamta Rani
अनवरत ये बेचैनी
अनवरत ये बेचैनी
Shweta Soni
2561.पूर्णिका
2561.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
बौद्ध धर्म - एक विस्तृत विवेचना
बौद्ध धर्म - एक विस्तृत विवेचना
Shyam Sundar Subramanian
■ आज की राय
■ आज की राय
*Author प्रणय प्रभात*
मां की कलम से!!!
मां की कलम से!!!
Seema gupta,Alwar
हे महादेव
हे महादेव
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
मै तो हूं मद मस्त मौला
मै तो हूं मद मस्त मौला
नेताम आर सी
रसों में रस बनारस है !
रसों में रस बनारस है !
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
“ज़िंदगी अगर किताब होती”
“ज़िंदगी अगर किताब होती”
पंकज कुमार कर्ण
*कष्ट दो प्रभु इस तरह से,पाप सारे दूर हों【हिंदी गजल/गीतिका】*
*कष्ट दो प्रभु इस तरह से,पाप सारे दूर हों【हिंदी गजल/गीतिका】*
Ravi Prakash
भज ले भजन
भज ले भजन
Ghanshyam Poddar
* मुस्कुराते नहीं *
* मुस्कुराते नहीं *
surenderpal vaidya
भारी संकट नीर का, जग में दिखता आज ।
भारी संकट नीर का, जग में दिखता आज ।
Mahendra Narayan
Aksar rishte wahi tikte hai
Aksar rishte wahi tikte hai
Sakshi Tripathi
"सुनो"
Dr. Kishan tandon kranti
पुकार
पुकार
Manu Vashistha
मैं उड़ सकती
मैं उड़ सकती
Surya Barman
गंदा है क्योंकि अब धंधा है
गंदा है क्योंकि अब धंधा है
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
टाँगतोड़ ग़ज़ल / MUSAFIR BAITHA
टाँगतोड़ ग़ज़ल / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
नवीन और अनुभवी, एकजुट होकर,MPPSC की राह, मिलकर पार करते हैं।
नवीन और अनुभवी, एकजुट होकर,MPPSC की राह, मिलकर पार करते हैं।
पूर्वार्थ
सुध जरा इनकी भी ले लो ?
सुध जरा इनकी भी ले लो ?
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
“बिरहनी की तड़प”
“बिरहनी की तड़प”
DrLakshman Jha Parimal
घर बाहर जूझती महिलाएं(A poem for all working women)
घर बाहर जूझती महिलाएं(A poem for all working women)
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
Loading...