“””””बाती बोली दीप से “””””””
बाती बोली दीप से, तेल तुझ में डला।
जली मै,आखिर नाम तेरा कैसे चला।
मेरे भी त्याग को समझे दुनिया,
होगा मेरा भी भला।।
बात बड़ी गम्भीर है, मन मेरा अधीर है।
मेरे ही प्रकाश से तम मिटा,फेला उजला।।
सोचो कितनी पीड़ा ,मैंने सही होगी।
जल जल कर मेरी आंखे ,कितनी बही होगी।
सुनो मेरी पीर,दिल मेरा है मचला।
सुन बाती की करुण कहानी,आंखो में मेरे था पानी।
दृष्टि दौड़ाई सृष्टि पर,निर्धन की भी यही कहानी।
अनुनय दीप – बाती का संग रहे,कमजोर कभी न तंग रहे।
संकल्प हमारा दीपोत्सव में,जन जन के लिए हमें तो खपना।।
राजेश व्यास अनुनय