Happy World Teachers’ day 5 October
कब दूर शरीर ये मन से ।
कब दूर शिष्य गुरुअन से।
हे गुरुवर तो ज्ञान के सागर हो।
तुम्ही तो ईश्वर हो।
हो हो हो हो हो हो हो हे हे हे हे
तुम्ही मेरे जीवन हो तुम्हे देख देख सीख लूंगा ।
एकलव्य की भांति मैं खुद को पेश कर दूंगा।
पढ़ना लिखना न आए ।
तुमने ही सार बताया।
सत्य, अहिंसा, निष्ठा, अनुशासन ज्ञान सिखाया।
हे गुरुवर तो ज्ञान के सागर हो।
तुम्ही तो ईश्वर हो।
ज्ञान के मंदिर के हो तुम सबसे प्यारी मूरत।
भगवान नजर आता है।
जब देखें तेरी सूरत।
जब जब दुनिया में आऊं।
तुमसे ही शिक्षा पाऊं।
तेरे ज्ञान की ज्योति लेकर।
सारे जग में मैं फैलाऊं।
हे गुरुवर तो ज्ञान के सागर हो।
तुम्ही तो ईश्वर हो।
RJ Anand Prajapati