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16 Jan 2024 · 1 min read

जब मेरी नज़र से देखोगे तब मेरी दहर को समझोगे।

जब मेरी नज़र से देखोगे तब मेरी नज़र को समझोगे।
तुम मेरी नज़र से बाहर रह क्या मेरे दहर को समझोगे।
…..
हंसते चेहरों की चांदी में रोते चेहरों की कालिख है।
इस राज को तुमने समझ लिया तो मेरे शहर को समझोगे।
…..
वापसी टिकट लेकर आते तुम ऐसा एक लिफाफा हो।
आएगा बुलावा उस घर से जब तक इस घर को समझोगे।
…..
सुर ताल खूब जंजाल खूब आकाश खुले हैं जाल खूब।
यह सब कुछ लेकर ग़ज़ल कहो जीवन की बहर को समझोगे।
…..
ख्वाबों की जिद को पहचानो हाथों की ताकत को तौलो।
कब तक तुम माथा रगड़ोगे कब तक उस दर को समझोगे।
…..
शिकवा ना करो रुसवा ना करो खामोश रहो सब देते रहो।
जब उसकी तरह हो जाओगे तुम खुद ही शजर को समझोगे।
…..
उगता सूरज चढ़ता दरिया कब वक्त की परवाह करता है।
रफ्तार “नज़र” जब कम होगी रफ्तारे गजर को समझोगे।
…..
Kumar Kalhans

Language: Hindi
85 Views
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