जिंदगी को जीने का तरीका न आया।
तारीफ किसकी करूं किसको बुरा कह दूं
या खुदा तूने मुझे ये कैसा मंजर दिखाया है,
चँदा मामा नहीं दूर के
Prithvi Singh Beniwal Bishnoi
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
*नेता से चमचा बड़ा, चमचा आता काम (हास्य कुंडलिया)*
दहलीज़
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
"बूढ़े होने पर त्याग दिये जाते हैं ll
ज़मीर मर गया सब का..और आत्मा सो गयी .....
तुम्हारी चाहतों का दामन जो थामा है,
मेरी अम्मा
Sarla Sarla Singh "Snigdha "