Ghazal
ऐसा नहीं नसीब ने मौका नहीं दिया
खु़द हमने अपने आप को धोका नहीं दिया
अक्सर यही हुआ है, कि ऐसा हुआ ना हो।
किस्मत ने मेरी मुझको चौंका नहीं दिया
दुनिया बराए धोखा मक़हूर आदमी
तुमने दिया फरेब ,अनोखा नहीं दिया
हमको पता है खू़ब उम्मीदों की दास्तां
हमने मकान में भी झरोखा नहीं दिया
इन्कार कब हैं मुझको व्योपार के धनी तुम
मुझको मिला सिला भी वो चोखा नहीं दिया
शहाब उद्दीन शाह क़न्नौजी