Fiza1
तेरे यादों की खुशबू फिजा चाहता हूं।
इश्क की अपने मैं इंतिहा चाहता हूं ।
❤️
बस एक नजर डाल दे इतनी ख्वाहिश।
मेरी सादगी देख क्या चाहता हूं।
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आखरी सांस तक मैं तेरा मुंतज़िर हूं।
तेरे रुख का मैं सामना चाहता हूं।
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बहुत तेरे वादे ,बहुत से इरादे।
खता गर कोई हो सजा चाहता हूं।
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मुझे उसकी ख्वाहिश वही आरजू है ।
चरागे सहर हूं बुझा चाहता हूं।
??????❤️
डॉक्टर सगीर अहमद सिद्दीकी खैरा बाजार बहराइच