Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 May 2024 · 1 min read

स्मृतियाँ

स्मृतियाँ

स्मृतियाँ जब कभी मस्तिष्क को
अपने पाश में लेती ,
सद्यः हमें वर्तमान से
भूतकाल में ले जातीं।

बीते हुए उन क्षणों को
हम पुनः जी लेते ।
क्षणों की अनुभूति से
कभी हँसते, कभी रोते ।

एकाकीपन में इनका साथ
जीवन को देता सम्बल ।
अतीत की घटनाओं का अनुभव
सामयिक विपत्तियो का हल।

दुःखद स्मृतियों हृदय विदीर्ण कर
नेत्रों में अश्रु भर देती ।
सुखद स्मृतियाँ हृदय को
पुनः आनन्द विभोर करती ।

– डॉ० उपासना पाण्डेय

Language: Hindi
1 Like · 37 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
नेह ( प्रेम, प्रीति, ).
नेह ( प्रेम, प्रीति, ).
Sonam Puneet Dubey
शरद पूर्णिमा की देती हूंँ बधाई, हर घर में खुशियांँ चांँदनी स
शरद पूर्णिमा की देती हूंँ बधाई, हर घर में खुशियांँ चांँदनी स
Neerja Sharma
कोरे कागज पर...
कोरे कागज पर...
डॉ.सीमा अग्रवाल
कामयाबी का जाम।
कामयाबी का जाम।
Rj Anand Prajapati
◆केवल बुद्धिजीवियों के लिए:-
◆केवल बुद्धिजीवियों के लिए:-
*प्रणय प्रभात*
चेहरे पर अगर मुस्कुराहट हो
चेहरे पर अगर मुस्कुराहट हो
Paras Nath Jha
आलोचना के द्वार
आलोचना के द्वार
Suryakant Dwivedi
तुम सात जन्मों की बात करते हो,
तुम सात जन्मों की बात करते हो,
लक्ष्मी सिंह
*ख़ुद मझधार में होकर भी...*
*ख़ुद मझधार में होकर भी...*
Rituraj shivem verma
*धरती हिली ईश की माया (बाल कविता)*
*धरती हिली ईश की माया (बाल कविता)*
Ravi Prakash
तू है एक कविता जैसी
तू है एक कविता जैसी
Amit Pathak
कई वर्षों से ठीक से होली अब तक खेला नहीं हूं मैं /लवकुश यादव
कई वर्षों से ठीक से होली अब तक खेला नहीं हूं मैं /लवकुश यादव "अज़ल"
लवकुश यादव "अज़ल"
मायका
मायका
Mukesh Kumar Sonkar
सैनिक
सैनिक
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
ट्रेन का रोमांचित सफर........एक पहली यात्रा
ट्रेन का रोमांचित सफर........एक पहली यात्रा
Neeraj Agarwal
बन गए हम तुम्हारी याद में, कबीर सिंह
बन गए हम तुम्हारी याद में, कबीर सिंह
The_dk_poetry
नारी बिन नर अधूरा✍️
नारी बिन नर अधूरा✍️
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
लेखनी
लेखनी
Prakash Chandra
सावन में घिर घिर घटाएं,
सावन में घिर घिर घटाएं,
Seema gupta,Alwar
"बचपन"
Dr. Kishan tandon kranti
दलित साहित्य / ओमप्रकाश वाल्मीकि और प्रह्लाद चंद्र दास की कहानी के दलित नायकों का तुलनात्मक अध्ययन // आनंद प्रवीण//Anandpravin
दलित साहित्य / ओमप्रकाश वाल्मीकि और प्रह्लाद चंद्र दास की कहानी के दलित नायकों का तुलनात्मक अध्ययन // आनंद प्रवीण//Anandpravin
आनंद प्रवीण
Khata kar tu laakh magar.......
Khata kar tu laakh magar.......
HEBA
अब कहाँ मौत से मैं डरता हूँ
अब कहाँ मौत से मैं डरता हूँ
प्रीतम श्रावस्तवी
आसाँ नहीं है - अंत के सच को बस यूँ ही मान लेना
आसाँ नहीं है - अंत के सच को बस यूँ ही मान लेना
Atul "Krishn"
ज़िस्म की खुश्बू,
ज़िस्म की खुश्बू,
Bodhisatva kastooriya
3386⚘ *पूर्णिका* ⚘
3386⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
आनंद जीवन को सुखद बनाता है
आनंद जीवन को सुखद बनाता है
Shravan singh
"" *भारत* ""
सुनीलानंद महंत
बिन बोले ही हो गई, मन  से  मन  की  बात ।
बिन बोले ही हो गई, मन से मन की बात ।
sushil sarna
** सपने सजाना सीख ले **
** सपने सजाना सीख ले **
surenderpal vaidya
Loading...