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ढल गया सूर्य फिर आएगा।
Kumar Kalhans
पीले पत्ते दूर हो गए।
Kumar Kalhans
खुद को समझ सको तो बस है।
Kumar Kalhans
आज अकेले ही चलने दो।
Kumar Kalhans
संभवतः अनुमानहीन हो।
Kumar Kalhans
परछाई उजली लगती है।
Kumar Kalhans
हो न हो हम में कहीं अमरत्व तो है।
Kumar Kalhans
उन्हें पुकारो।
Kumar Kalhans
जीवन का त्योहार निराला।
Kumar Kalhans
यूं ही रंग दिखाते रहिए।
Kumar Kalhans
धोने से पाप नहीं धुलते।
Kumar Kalhans
दुनिया चतुर सयानी बाला।
Kumar Kalhans
सूरज अंकल जलते जलते देखो इक दिन जल मत जाना।
Kumar Kalhans
कल रात सपने में प्रभु मेरे आए।
Kumar Kalhans
कर्ज जिसका है वही ढोए उठाए।
Kumar Kalhans
कैसे परहेजगार होते हैं।
Kumar Kalhans
मैं जब भी चाहूंगा आज़ाद हो जाऊंगा ये सच है।
Kumar Kalhans
पुर शाम की तन्हाइयां जीने नहीं देती।
Kumar Kalhans
बूढ़े लोग।
Kumar Kalhans
मुद्दा सुलझे रार मचाए बैठे हो।
Kumar Kalhans
यही रात अंतिम यही रात भारी।
Kumar Kalhans
सुरूर छाया था मय का।
Kumar Kalhans
गीत नया गाता हूं।
Kumar Kalhans
सबकी आंखों में एक डर देखा।
Kumar Kalhans
गर तू गैरों का मुंह ताकेगा।
Kumar Kalhans