Kumar Kalhans Poetry Writing Challenge-3 25 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Kumar Kalhans 10 May 2024 · 1 min read ढल गया सूर्य फिर आएगा। ढल गया सूर्य फिर आएगा। माना संध्या गहराएगी, फिर रात उतर कर आएगी, लेकर काले रंग को रजनी पूरे जग को नहलाएगी, पर भोर सभी को धो देगी इक चिन्ह... Poetry Writing Challenge-3 · गीत 1 51 Share Kumar Kalhans 10 May 2024 · 1 min read पीले पत्ते दूर हो गए। पीले पत्ते दूर हो गए। हरी डाल की हरियाली में, इनका काफी योगदान था, जब तक किरणे सोख रहे थे, इनका काफी मान दान था, समय आ गया है अब... Poetry Writing Challenge-3 · गीत 1 56 Share Kumar Kalhans 10 May 2024 · 1 min read खुद को समझ सको तो बस है। खुद को समझ सको तो बस है। भटक भटक कर थक जाओगे, चाहत कुछ है कुछ पाओगे, जो पाया संतोष करो भी, अपने मन को समझाओगे, बाहर मरूथल का शासन... Poetry Writing Challenge-3 · गीत 1 41 Share Kumar Kalhans 10 May 2024 · 1 min read आज अकेले ही चलने दो। आज अकेले ही चलने दो। पथ परिचित है पीर पुरानी, पर उसमें कुछ बात अजानी, आज न तुमसे बांट सकूंगा, अनजाने दुख की हैरानी, मेघों से अच्छादित नभ में आज... Poetry Writing Challenge-3 · गीत 1 43 Share Kumar Kalhans 10 May 2024 · 1 min read संभवतः अनुमानहीन हो। संभवतः अनुमानहीन हो, ये जग कितना एकाकी है। दीयों का मेला दिवाली, वे समूह में मुस्काते हैं, दूर से देखो तो लगता है, एक ही सुर में सब गाते हैं,... Poetry Writing Challenge-3 · गीत 1 61 Share Kumar Kalhans 10 May 2024 · 1 min read परछाई उजली लगती है। परछाई उजली लगती है, कितना दुष्कर मलिन समय है। हम कितने काले हो सकते हैं, इसका अनुमान हो रहा, हम में कितना दोष भरा है, इसका कुछ कुछ भान हो... Poetry Writing Challenge-3 · गीत 1 41 Share Kumar Kalhans 10 May 2024 · 1 min read हो न हो हम में कहीं अमरत्व तो है। हो न हो हम में कहीं अमरत्व तो है। हमने रखा है हलाहल को गले में, वासुकी को हमने है रस्सी बनाया, सामने न इंद्र के घुटने टिके हैं, हमने... Poetry Writing Challenge-3 · गीत 1 69 Share Kumar Kalhans 10 May 2024 · 1 min read उन्हें पुकारो। उन्हें पुकारो जिनके आने से, मन की पहचान खरी हो। मरुथल कोशिश भी कर लें पर , नागफनी ही दे पाएंगे, रेत ही जिनका मन हो तन में, नमी कहां... Poetry Writing Challenge-3 · गीत 1 76 Share Kumar Kalhans 10 May 2024 · 1 min read जीवन का त्योहार निराला। जीवन का त्योहार निराला। ढोलक की थापों के भीतर, शहनाई का राग करुण है, मरुथल के हिर्दय में बसता, सपनो का संसार वरुण है, खिलखिल रंगो के हिरदय में, छिपा... Poetry Writing Challenge-3 · गीत 1 58 Share Kumar Kalhans 5 May 2024 · 1 min read यूं ही रंग दिखाते रहिए। यूं ही रंग दिखाते रहिए। ठोकर खायी है बहुधा पर भूल गया और कदम बढ़ाए, याद अगर सब कुछ रखे तो कैसे कोई आगे जाए, मुझे याद रह जाए सब... Poetry Writing Challenge-3 · गीत 45 Share Kumar Kalhans 5 May 2024 · 1 min read धोने से पाप नहीं धुलते। धोने से पाप नहीं धुलते। गंगा यमुना के संगम पर या गंगा सागर तट जाओ, तन धोकर शुद्ध किया खुद को तुम अपने मन को बहलाओ, इतनी आसानी से लेकिन... Poetry Writing Challenge-3 · गीत 47 Share Kumar Kalhans 5 May 2024 · 1 min read दुनिया चतुर सयानी बाला। दुनियां चतुर सयानी बाला। अपने मादक हाव भाव से फुसलाती है बहलाती है, जब उसकी माया चल जाती खूब हमें यह उलझाती है, पीकर जिसे छोड़ना मुश्किल ऐसी सोम सुरा... Poetry Writing Challenge-3 · गीत 65 Share Kumar Kalhans 5 May 2024 · 1 min read सूरज अंकल जलते जलते देखो इक दिन जल मत जाना। सूरज अंकल जलते जलते देखा इक दिन जल मत जाना। जल जाओगे यदि , धरती पर कौन उजाला लायेगा, अंधियारे में भूत चोर का भय कितना बढ़ जायेगा, मन के... Poetry Writing Challenge-3 · बाल कविता 1 69 Share Kumar Kalhans 4 May 2024 · 2 min read कल रात सपने में प्रभु मेरे आए। कल रात सपने में प्रभु मेरे आए, भक्त वत्सल थे , वात्सल्य रस से नहाए, मुझसे यह पूछा, वत्स क्या कष्ट है, विचलित क्यों इतना है, इतना क्यों रुष्ट है,... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 111 Share Kumar Kalhans 4 May 2024 · 1 min read कर्ज जिसका है वही ढोए उठाए। कर्ज़ जिसका है वही ढोये उठाये। देवकी के अश्रु से गोकुल क्यों भीगे, क्यों यशोदा की व्यथा हो देवकी की, गोपियों के प्रेम को मथुरा क्यों समझे, जान क्यों पाए... Poetry Writing Challenge-3 · गीत 1 37 Share Kumar Kalhans 4 May 2024 · 1 min read कैसे परहेजगार होते हैं। कैसे परहेज़गार होते हैं। हम तो पीकर बीमार होते हैं। **** कौन उनके गुनाह गिनवाए। पाक सब पहरेदार होते हैं। **** जिस्म-ए-मुद्दा एक हो लेकिन। उसके चेहरे हज़ार होते हैं।... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 1 75 Share Kumar Kalhans 4 May 2024 · 1 min read मैं जब भी चाहूंगा आज़ाद हो जाऊंगा ये सच है। मैं जब भी चाहूँगा आज़ाद हो जाउंगा ये सच है। मगर मैं ये कभी कर ही नहीं पाउँगा ये सच है। ज़माना आएगा समझाएगा देगा तसल्ली पर। मैं तन्हाई में... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 1 41 Share Kumar Kalhans 4 May 2024 · 1 min read पुर शाम की तन्हाइयां जीने नहीं देती। पुर शाम की तन्हाईयाँ जीने नहीं देती। उस पर ये सितम वह मुझे पीने नहीं देती। मैं जानता हूँ जख़्म सब नासूर बनेगें। पर लरज़ती यादें इन्हें सीने नहीं देती।... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 1 50 Share Kumar Kalhans 4 May 2024 · 1 min read बूढ़े लोग। बूढ़े लोग, जिनके झुर्री भरे चेहरे में छिपा है दशकों का इतिहास, इतिहास जिसमे उनके अनगिनत छोटे बड़े संघर्ष हैं, किसी में जीते हैं किसी में हारे हैं, कही हार... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 43 Share Kumar Kalhans 4 May 2024 · 1 min read मुद्दा सुलझे रार मचाए बैठे हो। मुद्दा सुलझे रार मचाए बैठे हो। पर खुद को ही गांठ बनाए बैठे हो। कैसे आगे बढ़कर तुमसे गले मिलें। हाथों में हथियार उठाए बैठे हो। गुल कैसे खिल पाएं... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 1 39 Share Kumar Kalhans 4 May 2024 · 1 min read यही रात अंतिम यही रात भारी। यही रात अंतिम यही रात भारी। आनंद अतिरेक अनुपम अबोला, अदभुद ही आएगा प्राची से डोला, कण कण सुवासित प्रभासित करेगा, उपहार लाएगा किरणों का मेला, वंचित न कर देना... Poetry Writing Challenge-3 · गीत 48 Share Kumar Kalhans 4 May 2024 · 1 min read सुरूर छाया था मय का। सुरूर छाया था मय का , कूबूल है मुझको, मेरे हाथों ने , तेरी हथेली को मैंने जब पाया था, अपने अहसास से भीगे हुए , हाथों से जब, मैंने... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 36 Share Kumar Kalhans 4 May 2024 · 1 min read गीत नया गाता हूं। गीत नया गाता हूं। अपने हठयोग से नभ को झुकाया है, गर्वीला सागर भी हाथ जोड़ आया है, जीवन से भर दिया हाथों को फेरकर, प्रस्तर कठोर को मोम सा... Poetry Writing Challenge-3 · गीत 49 Share Kumar Kalhans 4 May 2024 · 1 min read सबकी आंखों में एक डर देखा। सबकी आंखों में एक डर देखा। देखा जंगल की एक शहर देखा। .... कुछ भी मुमकिन है इस रिसाले में। राह देखी है और सफर देखा। .... देखा महलों को... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 34 Share Kumar Kalhans 4 May 2024 · 1 min read गर तू गैरों का मुंह ताकेगा। अपनी ताकत भूल के गर तू गैरों का मुंह ताकेगा। इस दर से उस दर तक पूरी उम्र तू पतरी चाटेगा। ***** कई पीढियां गुजर चुकी हैं लापरवाही झेल रहा।... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 30 Share