Ahtesham Ahmad Poetry Writing Challenge-3 25 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Ahtesham Ahmad 23 May 2024 · 1 min read नन्ही भूख एक नन्हा सा बच्चा था प्यारा प्यारा। कुछ दूर खड़ा था भूखा थका-हारा।। ना माँ का रहा साया ना था बाबा का। बचपन से ही था वो नंगा बेसहारा।। मेहनत... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 68 Share Ahtesham Ahmad 23 May 2024 · 1 min read मेरे पिता कई रातों की नींदों को उन्हों ने भुलाया है। बड़े प्यार से मुझे अपने गले से लगाया है।। जब माँ ने थक कर हार मान लिया मुझ से। तब काँधे... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 2 79 Share Ahtesham Ahmad 23 May 2024 · 1 min read आज़ाद थें, आज़ाद हैं, आज़ाद थें, आज़ाद हैं, हम आज़ाद ही रहेंगे ! आज़ादी का मतलब ये नहीं... कि अपने तिरंगे से हम, तीन रंगों को आज़ाद करेंगे। केशरिया, सफेद और हरा... तीनों मिल... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 59 Share Ahtesham Ahmad 23 May 2024 · 1 min read हम पंक्षी एक डाल के आये थे हम पंछी बन कर। आशियाना हमें मिला यहाँ।। ज़मीन की गोद में रह कर। आसमान हमें दिखा यहाँ।। ऊँचाई को भी छू जाने का। जुनून हम में खिला... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 72 Share Ahtesham Ahmad 23 May 2024 · 1 min read नशा नये साल का दे कर बिदाई अब पुराने साल को। ख़ुश आमदीद कहिये नये साल को। जश्न की क़तारें लगी हैं चारों ओर। बधाईयों की मची हैं हर तरफ शोर। रसोई घर बना... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 69 Share Ahtesham Ahmad 23 May 2024 · 1 min read जीत देख तेरा उगता सूरज न अस्त हो। उमड़ते हुए वो हौसले न पस्त हो।। आसमाँ झुक जाये तेरे क़दमों पे। उड़ान ऐसी तुझ में बड़ी मस्त हो। मंज़िल ख़ुद चली... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 98 Share Ahtesham Ahmad 23 May 2024 · 1 min read मैं एक शिक्षक शिक्षक था, शिक्षक हूँ, शिक्षक ही रहूँगा। इसके सिवा जीवन में और क्या बनूँगा। समाज की जिम्मेदारियाँ हैं मुझ पे बहुत। इन ज़िम्मेदारियों को बस निभाता चलूँगा। लोगों को तो... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 65 Share Ahtesham Ahmad 23 May 2024 · 1 min read गुरु गर माँ-बाप ने उँगली पकड़ कर चलाया है। तो गुरु ने हमें मंज़िल का रास्ता दिखाया है। हमारी दुनिया थी तारीकी के समंदर में डूबी। गुरु ने इस दुनिया को... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 82 Share Ahtesham Ahmad 23 May 2024 · 1 min read चाय चाय भी साहब क्या ख़ूब एक बहाना है। एक कप के बहाने दिलों को मिलाना है। लाख मना करे बेचारे डॉक्टर साहब भी। फिर भी चाय के बिना कहाँ रह... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 77 Share Ahtesham Ahmad 23 May 2024 · 1 min read आज़ाद ग़ज़ल आज़ाद हो कर भी मैं ग़ुलाम हूँ। हालात के हाथों पाया अंजाम हूँ। ज़िन्दगी हँसाती थी अक्सर मुझे। आज तो रोता रहता सरेआम हूँ। यक़ीन उठ गया है हर किसी... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 55 Share Ahtesham Ahmad 23 May 2024 · 1 min read देखा है पढ़े-लिखों के घरों को उजड़ते देखा है। अनपढ़ों को तो हम ने निखरते देखा है। समंदर की लहरें भूल ही जाती हैँ उछाल। झीलों को हम ने कई बार उमड़ते... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 56 Share Ahtesham Ahmad 23 May 2024 · 1 min read क़ुदरत : एक सीख ये क़ुदरत का निज़ाम तो ज़रा तुम देखो। हम से हमेशा क्या कुछ नहीं कह जाता है। आसमान में मंडराते ऊँचे बादलों को देखो। ख़ुद अंधे-काले हो कर भी आगे... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 44 Share Ahtesham Ahmad 23 May 2024 · 1 min read बरसात मौसम ने फिर से ली अंगड़ाई है। फ़िज़ा में फिर से मस्ती छायी है। कब तलक चुप रहे ये वादियाँ भी। हवा भी अब ख़ूब शोर मचायी है। हर पेड़,... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 81 Share Ahtesham Ahmad 23 May 2024 · 1 min read गर्मी सूरज तो लगता है अब जवान हो गया। झुलसाये यूँ मानो पहलवान हो गया।। नदी नाले भी अपना वजूद हैं खोने लगे। पशु पक्षी इन्सान सब परेशान हो गया।। धरती... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 46 Share Ahtesham Ahmad 23 May 2024 · 1 min read एक पेड़ की पीड़ा ख़ुद बख़ुद हूँ उगता रहता, न किसी से हूँ कुछ माँगता, ख़ुद से हूँ अपना पेट भरता, न किसी को हूँ नुक़सान देता, फिर भी मुझे तुम... क्यूँ काटते हो?... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 53 Share Ahtesham Ahmad 23 May 2024 · 1 min read एक माँ के अश्कों से नौ महीने पूरे तुझे अपनी कोख़ में है पाला। जन्म देने से पहले तेरी ज़िन्दगी है संभाला। पा के तुझे जो मानो पीया अमृत का प्याला। आज तू ने ख़ुद... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 73 Share Ahtesham Ahmad 23 May 2024 · 1 min read चुनावी त्यौहार चुनावी त्यौहार जब देश में आ जाता है। मौसम फिर से एक बार गर्म हो जाता है। सियासी नशे में आ कर हर इन्सान यहाँ। इन्सानियत का केंचुल खुद छोड़... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 41 Share Ahtesham Ahmad 23 May 2024 · 1 min read औरत हर रिश्ते की पहचान है औरत। ईश्वर की एक वरदान है औरत। दिल से निकले जो अल्फ़ाज़। उस को देती ज़ुबान है औरत। हव्वा बनी आदम के लिये जो। प्यार... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 51 Share Ahtesham Ahmad 23 May 2024 · 1 min read इंसानों की इस भीड़ में ही एक इंसान हूँ। इंसानों की इस भीड़ में ही एक इंसान हूँ। मिट्टी से सोना उगाता मैं एक किसान हूँ। मेहनत के नशे में रहता धूत इस क़दर। ज़िन्दगी के हर दुख दर्द... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 41 Share Ahtesham Ahmad 23 May 2024 · 1 min read मैं मज़दूर हूँ मिट्टी से जन्मा हूँ, मिट्टी में ही रहता हूँ। मिट्टी ही हूँ, बस मिट्टी का ही खाता हूँ। सुख सुविधा से कोसों दूर हूँ। हाँ मज़दूर हूँ, मैं मज़दूर हूँ... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 76 Share Ahtesham Ahmad 23 May 2024 · 1 min read हम हिंदुस्तान हैं न हिन्दू हैं, न ही मुसलमान हैं। ये वतन तो सिर्फ हिंदुस्तान है। मज़हब अपना चाहे जो भी हो। ये तिरंगा ही हमारी पहचान है। कहीं भजन तो कहीं हो... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 68 Share Ahtesham Ahmad 23 May 2024 · 1 min read माँ और फौज़ी बेटा ---------------------- माँ फौजी बेटे से ---------------------- फ़ोन लगाया माँ ने गुस्से में अपने फौजी संतान को। " क्यों डुबाया तू ने एक माँ के मान और सम्मान को ?" दुश्मनों... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 60 Share Ahtesham Ahmad 23 May 2024 · 1 min read देश ने हमें पुकारा है देश की सरहदों ने आज हमें पुकारा है। निभाना तो अब आज फ़र्ज़ हमारा है। कब तक लड़ते रहेंगे आपस में हम सब ? क्यूँ एक दूसरे का लहू लगे... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 41 Share Ahtesham Ahmad 23 May 2024 · 2 min read मेरी पुकार रात का सन्नाटा देख मुझे कूड़े में क्यों फ़ेंक दिया? अपने ही ख़ून को यूँ आसानी से क्यों छोड़ दिया? जन्म तो सही से मुझे लेने दिया होता न मम्मी... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 75 Share Ahtesham Ahmad 23 May 2024 · 1 min read हर दिल गया जब इस क़दर गुनहगार हो हर दिल गया जब इस क़दर गुनहगार हो। तो इंसानियत क्यों न इतनी शर्मशार हो? देते हैं लोग हर पल दुहाई एक दूसरे को। तो क्यों कर ज़िन्दगी हमेशा साज़गार... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 97 Share