Suryakant Dwivedi Poetry Writing Challenge-2 25 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Suryakant Dwivedi 17 Feb 2024 · 1 min read जीता जग सारा मैंने जीता जग सारा मैंने अपने घर से हार गया रोकर एक पिता यूं बोला चंदा से सूरज हार गया।। शब्द, शब्द से शब्द बड़े शब्द, शांत नि:शब्द खड़े नेह-प्यार के... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · गीत 100 Share Suryakant Dwivedi 17 Feb 2024 · 1 min read क्या कर लेगा कोई तुम्हारा.... गीत क्या कर लेगा कोई तुम्हारा, अड़े रहो आकाशी बूँदों का, अस्तित्व नहीं होता रात रात भर, जाग जाग कर नयन क्यों खोवै पल दो पल की नींद तुम्हारी सपन... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 1 2 83 Share Suryakant Dwivedi 17 Feb 2024 · 1 min read पिता का गीत गीत मत पूछो किस तरह जिया हूं । कदम-कदम पर गरल पिया हूं इस दीपक के दस दीवाने सबकी चाहत ओ’ उलाहने जर्जर काया, पास न माया कैसे कह दे... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 81 Share Suryakant Dwivedi 17 Feb 2024 · 1 min read सावन बीत गया सखी बीत गया मधुमास न जागा कोई अहसास कि सावन रीत गया... कि सावन बीत गया परछाई जो साथ चली अंगड़ाई जो साथ ढली अब बस मीठी यादें हैं तेरी... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 68 Share Suryakant Dwivedi 17 Feb 2024 · 1 min read रिटायमेंट (शब्द चित्र) रिटायमेंट (शब्द चित्र) ******** मन रमता नहीं तन टिकता नहीं दूर है मंजिल जग मिलता नहीं सामने उस वृक्ष को देखो कल तक हरा भरा था तने मजबूत थे सबको... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 79 Share Suryakant Dwivedi 17 Feb 2024 · 1 min read युगांतर युगांतर ******* सदियों के आँगन में कुछ हमने भी रोपा होगा सूरज को क़ैद किया होगा या चंदा से बैर किया होगा। नीलांचल से जब बिजली कौंधी होगी बादल फ़टे... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 86 Share Suryakant Dwivedi 17 Feb 2024 · 1 min read प्यारा-प्यारा है यह पंछी प्यारा प्यारा है यह पंछी, और पिंजड़ा धाम है कैसे कह दूं मैं तुम से, परतंत्रता परिणाम है जागे जागे रातभर जो, जुगनुओं की आस में कह रहा चंदा अकेला,... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 82 Share Suryakant Dwivedi 17 Feb 2024 · 1 min read खंडकाव्य यह जीवन है खंड काव्य खण्ड खण्ड अपने भाष्य क्या खोया है, पाया क्या अधर अधर पर कटु हास्य।। किरदारों के कथ्य रचे हैं अवतारों के सत्य पढ़े हैं किंतु... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 89 Share Suryakant Dwivedi 17 Feb 2024 · 1 min read कैसे कहें घनघोर तम है गीत कैसे कहें घनघोर तम है सुनें व्यंजना मन है पल है कौंध रहीं जो बिजली सारी गरजा, बरसा, बिखरा जल है। प्रतिध्वनि में ये गूंज किसकी देख,भर रहा है... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 81 Share Suryakant Dwivedi 17 Feb 2024 · 1 min read षड्यंत्रों की कमी नहीं है मन का केवल भेद चाहिए षड्यंत्रों की कमी नहीं है चौसर पर हैं हम सब यारों शकुनि पासा फेंक रहा है कह द्रोपदी लाज की मारी कलियुग आंखें सेंक रहा... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 53 Share Suryakant Dwivedi 17 Feb 2024 · 1 min read क्यों दोष देते हो क्यों.इन हवाओं को दोष देते हो...? उदधि के सीने पर तो तुम ही तूफान लाये थे ज्वार भाटे के संग भी तुमको रोमांच भाये थे अब कहते हो हमसे तुम... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 60 Share Suryakant Dwivedi 17 Feb 2024 · 1 min read अदाकारी अदाकारी सीखकर अदाकार बन गए कलम के सिपाही फनकार बन गए लहराती ज़ुल्फों में अब उड़ती है ग़ज़ल गीतों के कमरों में रोशनदान हो गए मानते थे पहले जो लिखना... Poetry Writing Challenge-2 · हास्य-व्यंग्य 61 Share Suryakant Dwivedi 17 Feb 2024 · 1 min read कान्हा घनाक्षरी कान्हा घनाक्षरी नया हर दिन रहे, नई हर प्यास रहे भोर के क्षितिज का, अभिराम कीजिये मन में तरंग रहे, तन में उमंग रहे घेरे न उदासी फिर, राम राम... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 49 Share Suryakant Dwivedi 17 Feb 2024 · 1 min read क्षितिज के उस पार क्षितिज के उस पार क्षितिज के उस पार तिमिर घोर तिमिर है मैं नहीं जाना चाहता सुना, वहां जीवन नहीं सुना है, वहां तप नहीं सुना है, वहां संताप है... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 46 Share Suryakant Dwivedi 17 Feb 2024 · 1 min read भावुक हुए बहुत दिन हो गए भावुक हुए बहुत दिन हो गये.. तन-मन बदले आँसू सूख गये। भाव से ही नीर का रिश्ता होता है.. हो जाये कुछ भी क्या होता है।। बदल रही दुनिया मानक... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 55 Share Suryakant Dwivedi 17 Feb 2024 · 1 min read श्याम-राधा घनाक्षरी *घनाक्षरी* आँगन में भोर भई, भोर भई भोर भई राधिका हैरान भई, भोर कब हो गई छम छम छम छम, बाजे जब घुंघरू तो कहने लगीं सखियां, जाने कहां खो... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 93 Share Suryakant Dwivedi 17 Feb 2024 · 1 min read कितने बदल गये क्यों दोष देते हो अपने को देखो कितने बदल गये.. आग ने पानी से आँख ने आँसू से दीये ने तूफ़ान से धूप ने बादल से रूप ने काजल से... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 44 Share Suryakant Dwivedi 17 Feb 2024 · 1 min read मकर संक्रांति मकर संक्रांति .......... उत्तरायण हो गए तुम राशि बदल दी तुमने धनु से मकर में आ गए तुम सूर्य हो, अदम्य ओजस्वी।। असम्भव क्या तुम्हारे लिए न भी होते तो... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 54 Share Suryakant Dwivedi 17 Feb 2024 · 1 min read आप सुनो तो तान छेड़ दूं गीत आप सुनो तो तान छेड़ दूं, मन के गीत सुनाने को सर सर सर बहती है सरिता, मन के भाव जताने को चंदा ने चुनरी फहराई, तारों का मस्तक... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 58 Share Suryakant Dwivedi 17 Feb 2024 · 1 min read व्यंग्य क्षणिकाएं क्षणिकाएं इन आँसुओं को कौन समझाए अब ये टपकते नहीं सूखते हैं..... जब रोती भी हैं आंख रुमाल भीगता नहीं। 2 बहुत दिन से उनकी खैर खबर नहींं मिली अब... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 53 Share Suryakant Dwivedi 17 Feb 2024 · 1 min read दिन और रात-दो चरित्र चरित्र दिन और रात के चरित्र में कितना अंतर होता है.. दिन में दोस्त सभी रात में तन्हा होता है। उजली उजली बातें अपनी रहने दो कड़वी कड़वी बातें उनको... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 80 Share Suryakant Dwivedi 16 Feb 2024 · 1 min read हट जा भाल से रेखा गीत हट जा हट जा भाल से रेखा, ओ मेरी तकदीर देख लिया संसार यह तेरा, क्या किसकी तस्वीर।। लिख लिख काग़ज़ हम धर लेबे, जावें खुली किताब मोर पंख... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 56 Share Suryakant Dwivedi 16 Feb 2024 · 1 min read व्यंग्य क्षणिकाएं अनकही 1. बरसों से यह मकान खुला नहीं है चाट गई दीमक,कोई मिला नहीं है।। 2. संबंध कपूर है आरती तक जला फिर काफ़ूर है।। 3. बहुत दिनों से कोई... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 86 Share Suryakant Dwivedi 16 Feb 2024 · 1 min read शब्दों की रखवाली है गीत शब्द हमारे मन का चित्रण शब्दों की हरियाली है जब भी शब्द झरे अधरों से शब्दों की रखवाली है ।। शब्द सुमन अर्पण यह जन का अभिलाषा उद्बोधन का... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 108 Share Suryakant Dwivedi 16 Feb 2024 · 1 min read हां राम, समर शेष है आज भी वही सागर है वही जिद रास्ता नहीं दूंगा युगों से यही तो हो रहा है कोई किसी को रास्ता नहीं देता मार्ग, पथ, रास्ता सबकी अपनी गति है...... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 85 Share