डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम Poetry Writing Challenge 25 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 15 May 2023 · 1 min read मेघ सागर गहरे राज समा कर जीवन को, अपनाता है । मेघ रूपहले राज छुपा कर जीवन को, हरसाता है। प्रातः धरती की प्यास बढ़ाने सूरज नभ में आता होगा। जल... Poetry Writing Challenge 3 297 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 15 May 2023 · 1 min read भारत के लाल जन्म हुआ दो अक्टूबर को,लाल बहादुर बाल हुये। लाल बहादुर औ गाँधी जी,भारत के दो लाल हुये। सीमा पर जो युद्ध छिड़ा था, भारत पाकिस्तानी में, बलिदानी थे वीर सिपाही,सीमा... Poetry Writing Challenge 2 2 134 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 15 May 2023 · 1 min read पुष्प वाटिका में श्री राम का समर्पण नजरों की परिभाषा समझो,चंचल चितवन वहाँ बसेरा। नयनों की भाषा जो समझे,नयनों का है वही चितेरा। नयनों की चितवन के कायल, राम वाटिका में अटके हैं। पलकों के तीरों से... Poetry Writing Challenge 140 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 15 May 2023 · 1 min read मां की ममता माँ से ही ममता महान है,माता का आभूषण जानो। बिन ममता नारी वैसे है, जैसे बिन पल्लव तरु मानो। शस्यश्यामला बसुन्धरा ने,सबको जीवन दिया अनोखा। सदा हिरण्यगर्भा माता ने ,निज... Poetry Writing Challenge 162 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 15 May 2023 · 1 min read होली पथरायी सूनी आँखों में, खोया प्यार जगा दे होली। खोये खोये सपनों को भी ,सच में यार जगा दे होली। सपनों के लुट जाने का दुःख ,दुःख कर अहसास हुआ... Poetry Writing Challenge 162 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 15 May 2023 · 1 min read विकास कोसे हरियाली बंजर को,क्यों विकास इतना करती। फलस्वरूप बंजर धरती को,कंक्रीट है क्यों भरती?। क्यों मानवता हरित धरा को,अपमानित कर रहती है? कंक्रीट का जंगल लेकर, खुशियाँ पाकर कर सहती... Poetry Writing Challenge 229 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 15 May 2023 · 1 min read यशोधरा के प्रश्न यशोधरा के नयनों को, क्या गौतम पढ़ पायेगें। अश्रु पूरित व्यथा- कथा को,मौन कभी गढ़ पायेगें। गौतम भामिनि होकर तुमने ,क्या पाया पति को खोकर। हुये तथागत वो गौतम से,तुमने... Poetry Writing Challenge 1 266 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 15 May 2023 · 1 min read प्रेम गीत प्रेम के गीत हम गुनगुनाएँ सदा , प्रीत की रीत को हम निभाएँ सदा । मैं चकोरा बनूँ तुम बनो चंद्रिका , कल्पना मे तेरी भावनाएं सदा । मन मचलने... Poetry Writing Challenge 135 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 15 May 2023 · 1 min read क्यों?विषधर जीवन की बगिया में साथी , संग संग जीना मरना है । फूलों की घाटी में साथी , भर उमंग से जीना है । खेल खेल में इस जीवन के,... Poetry Writing Challenge 1 124 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 15 May 2023 · 1 min read जाति बंधन जाति बन्धन हमेशा सलामत रहे, भेदभाव की मंशा नदारद रहे, मित्र मिल जुल रहें प्यार उनमें अमिट, देश में एकता अब सलामत रहे ।1। मित्र निज देश हित भक्ति वरदान... Poetry Writing Challenge 158 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 15 May 2023 · 1 min read न्याय की तुला न्याय की है तुला ,तौल रिश्ते बना, सात फेरे नहीं, कामना से बना झूलता ,डोलता ,आज विश्वास है, कौन किसका यहाँ, कौन किसका बना ।1,। भामिनी ना सगी , पुत्र... Poetry Writing Challenge 1 203 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 15 May 2023 · 1 min read रात की कालिमा रात की कालिमा छा गयी थी जहां , प्रात की लालिमा छा गयी थी वहाँ । चाँद का नूर खोया कहीं गुम हुआ , ढूंढते ढूंढते चाँदनी फिर कहाँ ।... Poetry Writing Challenge 217 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 15 May 2023 · 1 min read प्यार का सार प्यार का सार है त्याग की भावना , प्रेम रस धार है प्रीत की कामना । जिंदगी मिल गयी प्यार जिसने किया , प्यार से मिट गयी खोखली वासना ।... Poetry Writing Challenge 215 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 15 May 2023 · 1 min read ना हमें काम है ना तुम्हे काज है ना हमें काम है ना तुम्हें काज है , है कहाँ नौकरी ये अजब राज है । राज की बात है राज जिसने किया , दांव पर दांव दे ,... Poetry Writing Challenge 157 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 15 May 2023 · 1 min read होली सुनहरा रंग उपवन में, बसंती रुप छाया है। वसंती छा गया मौसम, रुपहला रुप पाया है। जहां कोयल पपीहा मोर नाचे नित्य सुध बुध खो, वनों मे सुंदरी भटके, निखर... Poetry Writing Challenge 138 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 15 May 2023 · 1 min read पायल सजी पायल बजे घुंघरू,करे छम छम सुहाती है । बजी पायल करे घायल ,सजे पग में लुभाती है । चुराए मन मयूरा थाम लो उड़ती उमंगों को। बड़ी चालाक है... Poetry Writing Challenge 111 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 15 May 2023 · 1 min read आषाढ़ के बादल ये आषाढ़ी बादल सुंदर ,घुमड़ घुमड़ कर गरजेंगे। धूप छांव का खेल खेल कर, उमड़ उमड़ कर बरसेंगे। जेठ दुपहरी आग उगलती, बेचैनी है आंखों में। काले मेघा यदि ना... Poetry Writing Challenge 116 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 15 May 2023 · 1 min read बेटियां माता-पिता की आन बान शान बेटियाँ घर-घर की आन बान पर कुर्बान बेटियाँ। मन मोहती सदा है मुस्कान बेटी की है मीठे बोल बोलती मासूम बेटियाँ। थी हैरान परेशान क्यों?... Poetry Writing Challenge 2 1 88 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 15 May 2023 · 1 min read श्रद्धांजलि लता जी ओ!कोकिला सुरों की, ओ! साधिका लता जी। वरदान शारदा का ,हृद धारिका लताजी। माँ !भारती सुनाती ,सुर ताल की कहानी। शत् वंदना तुम्हारी ,लय सर्जिका लता जी। मंगेशकर लता जी... Poetry Writing Challenge 137 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 15 May 2023 · 1 min read सुमन बहकती चंचला का मन, खिला जब तन बदन चहका। बसंती रूप है पावन, खिली जब धूप तन दहका । पवन चलती सुमन महके, खिलें जब क्यारियाँ देखें। गुलाबी रंग है... Poetry Writing Challenge 205 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 15 May 2023 · 1 min read न छेड़ो तार वीणा के न छेड़ो तार पीड़ा के दुःखे रग रग हमारा है। न खीचों तार वीणा के बजाती धुन तुम्हारा है। प्रिये, हिय में तुम्हारी वेदना के स्वर कहाँ गूंजे। न सूझे... Poetry Writing Challenge 95 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 15 May 2023 · 1 min read पिता की छांव दूर क्षितिज के पार है,सपनों का इक गांव। चंद्र किरण देती वहां,नयना को इक छांव। बचपन की अठखेलियां ,घोड़े कुर्सी दौड़। पिता संग थे खेलते, खुशियां की थी ठांव ।... Poetry Writing Challenge 2 1 239 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 15 May 2023 · 1 min read बरसात बरसात, झूम झूम के मेघा बरसे, आयी अब बरसात हो। सावन में दिल ऐसे झूमे, माँई! दिल सरसात हो। जैसे हथिनी सूंढ़ उठा के, पानी भरभर फेंक दे। पिया बिना... Poetry Writing Challenge 244 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 15 May 2023 · 1 min read नमन मां गंगे नमन मां गंग ! पावन, शिव जटा से अवतरण करती। नमन मंदाकिनी! अविरल ,सदा हित वैतरण करती। यहां भागीरथी मां श्राप धोती सगर पूतों का। सरित देवी !बहो निर्मल धरा... Poetry Writing Challenge · मुक्तक 86 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 15 May 2023 · 1 min read जिंदगी राम से है बड़ी ,राम की बंदगी। फिर फटेहाल क्यों ,आम ये जिंदगी।1। बाढ़ में बह गया, है जुनुं प्यार का मुफलिसी में कटी , नाम है जिन्दगी।2। रोटियां जो... Poetry Writing Challenge · ग़ज़ल 82 Share