Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 May 2023 · 1 min read

नमन मां गंगे

नमन मां गंग ! पावन, शिव जटा से अवतरण करती।
नमन मंदाकिनी! अविरल ,सदा हित वैतरण करती।
यहां भागीरथी मां श्राप धोती सगर पूतों का।
सरित देवी !बहो निर्मल धरा का उद्धरण करती

सदानीरा, सदा निर्झर ,हिमालय से, निकलती हो।
यथा निर्मल, सदा पावन, मुखी गौ से ,पिघलती हो।
जलधि से भी ,अधिक पावन ,हमारी गंग माता है।
पहाड़ों से उतरकर माँ धरा पर तुम फिसलती हो।

कभी संगम कभी पटना कभी काशी निवासी हो।
कहीं उद्गम हिमालय से कहीं सागर प्रवासी हो।
तुम्हारी संस्कृति के गान सारा विश्व गाता है।
नमन गंगा ! सुपावन देव काशी की नवासी हो।

डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
वरिष्ठ परामर्श दाता, प्रभारी रक्त कोष
जिला चिकित्सालय सीतापुर
9450022526
मौलिक रचना

Language: Hindi
65 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
View all
You may also like:
सत्तावन की क्रांति का ‘ एक और मंगल पांडेय ’
सत्तावन की क्रांति का ‘ एक और मंगल पांडेय ’
कवि रमेशराज
राम का राज्याभिषेक
राम का राज्याभिषेक
Paras Nath Jha
आजकल स्याही से लिखा चीज भी,
आजकल स्याही से लिखा चीज भी,
Dr. Man Mohan Krishna
अथर्व आज जन्मदिन मनाएंगे
अथर्व आज जन्मदिन मनाएंगे
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
अपनी धरती कितनी सुन्दर
अपनी धरती कितनी सुन्दर
Buddha Prakash
जिसे सुनके सभी झूमें लबों से गुनगुनाएँ भी
जिसे सुनके सभी झूमें लबों से गुनगुनाएँ भी
आर.एस. 'प्रीतम'
Mental Health
Mental Health
Bidyadhar Mantry
भंडारे की पूड़ियाँ, देसी घी का स्वाद( हास्य कुंडलिया)
भंडारे की पूड़ियाँ, देसी घी का स्वाद( हास्य कुंडलिया)
Ravi Prakash
दिल में जो आता है।
दिल में जो आता है।
Taj Mohammad
I want my beauty to be my identity
I want my beauty to be my identity
Ankita Patel
स्वप्न ....
स्वप्न ....
sushil sarna
वह फिर से छोड़ गया है मुझे.....जिसने किसी और      को छोड़कर
वह फिर से छोड़ गया है मुझे.....जिसने किसी और को छोड़कर
Rakesh Singh
■ अखंड भारत की दिशा में प्रयास का पहला चरण।
■ अखंड भारत की दिशा में प्रयास का पहला चरण।
*Author प्रणय प्रभात*
हर चाह..एक आह बनी
हर चाह..एक आह बनी
Priya princess panwar
मेरी सोच मेरे तू l
मेरी सोच मेरे तू l
सेजल गोस्वामी
शु'आ - ए- उम्मीद
शु'आ - ए- उम्मीद
Shyam Sundar Subramanian
स्वीकार्यता समर्पण से ही संभव है, और यदि आप नाटक कर रहे हैं
स्वीकार्यता समर्पण से ही संभव है, और यदि आप नाटक कर रहे हैं
Sanjay ' शून्य'
*यह दौर गजब का है*
*यह दौर गजब का है*
Harminder Kaur
सफर
सफर
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
मेरा सोमवार
मेरा सोमवार
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
......,,,,
......,,,,
शेखर सिंह
नाम लिख तो दिया और मिटा भी दिया
नाम लिख तो दिया और मिटा भी दिया
SHAMA PARVEEN
याचना
याचना
Suryakant Dwivedi
सतरंगी इंद्रधनुष
सतरंगी इंद्रधनुष
Neeraj Agarwal
** मुक्तक **
** मुक्तक **
surenderpal vaidya
तुम्हें भूल नहीं सकता कभी
तुम्हें भूल नहीं सकता कभी
gurudeenverma198
सफलता का बीज
सफलता का बीज
Dr. Kishan tandon kranti
#शीर्षक:-तो क्या ही बात हो?
#शीर्षक:-तो क्या ही बात हो?
Pratibha Pandey
" रे, पंछी पिंजड़ा में पछताए "
Chunnu Lal Gupta
पास बुलाता सन्नाटा
पास बुलाता सन्नाटा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
Loading...